बापूजी के खिलाफ षड्यंत्र और मीडिया का मनोवैज्ञानिक दबाव- शिल्पा अग्रवाल, साइकोलाजिस्ट, पुणे
संत श्री आशारामजी बापू के खिलाफ जो षड्यंत्र चल रहा है, उसको मनोवैज्ञानिक तरीके से किस तरह से पूर्वनियोजन किया गया है, मैं एक मनोवैज्ञानिक होने के नाते यह आपको बताना चाहती हूँ ।…
८ मुख्य पहलुओं को उजागर करते हुए मैंने एक चित्र बनाया है, जो यह समझने में मदद करेगा कि किन चीजों को किस तरह उपयोग किया जा रहा है ताकि एक प्रभावशाली तरीके से इस साजिश को सच का रूप दिया जा सके ।
- जनता को निशाना : इस पूरी साजिश में समाज के इन वर्गों को निशाना बनाया गया – शिक्षित जागरुक वर्ग, उच्च वर्ग और मुख्यतः युवा वर्ग क्योंकि आज का युवा वर्ग अपनी स्वतंत्र सोच रखता है और उसको विश्वास दिलाने पर वह तुरंत प्रतिक्रिया करता है ।
- षड्यंत्र का मुद्दा : ‘माहिलाओं के ऊपर हो रहे अत्याचार’ – यह इस समय हमारे देश की ज्वलंत समस्या है और इसीको इन लोगों ने मुख्य मुद्दा बनाया है । इस विषय पर हर कोई बहुत बुरी तरह से आहत है और हर कोई इस पर तुरंत प्रतिक्रिया करके इसका विरोध दर्शाना बहुत जरूरी और आसान समझ रहा है ।
- रणनीति : जब भी कोई इस तरह की रणनीति बनायी जाती है तो उसमें यथार्थपूर्ण, विश्वसनीय, प्रभावशाली जैसी मार्केटिंग रणनीति का उपयोग किया जाता है । जो कि यहाँ पर किया जा रहा है । जिस तरह से आपके सामने तथ्यों को रखते हैं, उससे आपको पूरी तरह से प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है । यहाँ पर एक बिंदु है दर्शक की मानसिकता । जैसे पहली बार कोई विज्ञापन देखने पर वह हमें बहुत अजीब-सा लगता है, नहीं पसंद आता है । लेकिन जब हम बार-बार उसे देखते रहते हैं तो हमें पता भी नहीं चलता है कि कब हम उस विज्ञापन को गुनगुनाने लगे हैं । वही चीज इस मैटर में भी प्रयोग की जा रही है ।
- सम्पादन : इसमें हावी होने के साथ पूरे विषय को प्रस्तुत किया जाता है । पेड मीडिया चैनल्स के जो एंकर होते हैं, उनके बात करने के तरीके को देखिये वे आपके ऊपर हावी होकर बात करना चाहते हैं । वे सिर्फ बताना नहीं चाहते बल्कि आपको किसी भी तरीके से प्रभावित करना चाहते हैं । दृढ़ता से बार-बार वही घटना दोहराना (हाई फ्रैक्वेंसी कनसिस्टेंश) वही बात है सेकेंड के छोटे-से भाग में जो बात होती है उसको बार-बार दिखाते है ब्रेकिंग न्यूज बनाकर दिखाते हैं, हमें ऐसे प्रभावित करते रहते हैं कि शायद ये सच तो नहीं !
- भाषा : ये बहुत ही महत्त्वपूर्ण बिंदु है । जैसे आप लोगों ने ध्यान दिया होगा कि जो पेड मीडिया चैनल्स हैं जो थोड़ी-सी न्यूज को बहुत असमान्य तरीके से दिखाते हैं वे संगीन, वारदात, गिरोह, बड़ा खुलासा आदि इस तरह के जब वे शब्द उपयोग करते हैं । तो इसमें थोड़ा-सा तुलना कीजिए अगर हमें बोलना है कि इस मैटर का पता चला है और इस मैटर का बड़ा खुलासा, ये बात गम्भीर है और कोई बोले यह एक संगीन मामला है । तुरंत हमें पता चलता है कि अगर हम गम्भीर आदि ऐसे शब्दों का प्रयोग करते है तो वो एक साधारण चीज लगती है । पर जब हम वारदात, गिरोह, संगीन, एक बड़ा खुलासा – इस तरीके के शब्दों का प्रयोग करते हैं तो अपनेआप हमें लगता है कि यह कोई क्रिमिनल चीजों से संबंधित न्यूज है । आम जनता को प्रभावित करने के लिए इसको संत आशारामजी बापू के विषय में बहुत ही खतरनाक रूप में उपयोग किया जा रहा है । इससे हमें सतर्क रहने की बहुत-बहुत जरूरत है ।
- मेकिंग बेसलेस स्टोरीज (आधारहीन कहानियाँ बनाना), स्टिंग ऑपरेशन एंड एसोसियेटेड प्वाइंटस : अचानक कोई स्टिंग आपरेशन आ जाता है । अचानक पता चलता है कि बापूजी के आश्रम में अफीम की खेती होती है । इसका कोई आधार नहीं है लेकिन बापूजी के इस पूरे मैटर को और भी ज्यादा रुचिकर बनाने के लिए, कुछ और लाग-लपड़ लगाकर बताने के लिए इस तरह की कुछ आधारहीन कहानियाँ बनायी जाती है, स्टिंग आपरेशन बनाये जाते हैं ।
- मेजर टूल्स (महत्त्वपूर्ण हथियार) : बहुत सारी क्लिपिंग्स जो होती हैं वे तोड़-मरोड़ के बनायी जाती हैं । इसमें हैवी टेक्नालॉजी इस तरह से प्रयोग की जाती है कि कभी हम देखते हैं कि बापू की आवाज में कोई फोन रिकार्डिंग टेप की हुई दिखायी जाती है, यह सब टेक्नालॉजी का दुरुपयोग है । इसके अलावा किन लोगों का इस्तेमाल किया जा रहा है ? हमारे समाज के कुछ ऐसे लोग जो कमजोर मानसिकता या नकारात्मक विचारधारा के हैं, ये आसानी से किसीके प्रलोभनों में आ जाते हैं । या तो वे डर के बोलते हैं या किसी के प्रलोभन में आकर बोलते हैं । इन लोगों को मोहरा बनाकर सामने लाया जा रहा है । उनसे इल्जाम लगवाये जा रहे हैं जो कि पूर्णतः झूठे हैं । जिनका कोई आधार ही नहीं है । इसके अलावा यहाँ पर जो सबसे बड़ी कोशिश की जा रही है वह यह है कि जो आरोप लगायें वे बापू के साधक परिवार में से हों । क्योंकि कोई आरोपी बापू का साधक रह चुका है यह बोलता है तो उसकी विश्वसनीयता अपने आप ही बढ़ जाती है । इसीलिये जो २-४ लोग बापू के विरुद्ध हो गये उन लोगों को यहाँ पर मोहरा बनाया गया है ।
- मनोवैज्ञानिक वातावरण तैयार करना : जिस समय बापूजी के बेल की सुनवाई होनेवाली होती है, ठीक उसके पहलेवाले दिन हमें खबर मिलती है कि धमकियाँ मिल रही हैं । कहीं से शिकायत आयी कि माता-पिता और लड़की को जान से मारने की धमकी मिल रही है । क्या है यह ? कभी भी कुछ सत्य साबितनही हुआ है । और ये कैसे हो सकता है कि ठीक एक दिन पहले ही यह होगा । इसीलिए यह सबको समझना बहुत जरूरी है । अगर इस पूरे विषय को आप इन बिंदुओं के साथ समझते हैं तो स्पष्ट समझ में आयेगा कि यह एक सोची-समझी साजिश है । किसी भी तरीके इन पर भरोसा मत कीजिये, खुद से प्रश्न पूछिये, और खुद ही जवाब ढूँढ़िये कि क्या सचमुच य सच्चाईवाला मैटर है या एक साजिश है ? केवल पेड मीडिया चैनल्स ही नहीं बल्कि इसीके समान प्रिंट मीडिया भी खतरनाक तरीके से प्रभावित कर रहा है । इन दोनों के द्वारा दिखायी गयी फँसानेवाली नकारात्मक बातों से सावधान रहना चाहिए !!!

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